चिप्स कैसे बनायें और कैसे पैकिंग करें



चिप्स
निर्जलीकरण के लिए भी उपयुक्त आलू वही है जो कैनीकरण के लिए चुना जाता है। आलू को 6 से 10 मिलीमीटर मोटाई के टुकडों में कतरा जाता है, आलू के चैकोर टुकडे भी आजकल अधिक पसन्द किये जाते है। कतरे हुए आलुओं को पानी में या 0.05 प्रतिशत पोटेशियाम मेटापाई सल्फाइट घोल में डालते रहने से उनमें आॅक्सीकरण से होने वाले वर्ण-भेद को रोका जा सकता है। आलू को पूरा कतरने के बाद घोल से निकालकर 3 से 4 मिनट समय देकर उसका विवर्णीकरण किया जाता है तथा तुरन्त बाद 0.1 प्रतिशत पोटेशियम मेटाबाई सल्फाइड में 10 मिनट रखा जाता है। यदि आलुओं को विवर्णीकरण के पूर्व पोटेशियम मेटाबाई सल्फाइट घोल में नहीं रखा गया हो तो विवर्णीकरण के बाद 0.13 प्रतिशत घोल में रखना चाहिए, फिर इन्हें निकालकर निर्जलीकरण में सुखाया जाता है जिसका अधिकतम तापमान 650 से होता है। सूखने के लिए 6 से 8 घण्टे समय
लगेगा। सूखे आलू करीब 14 प्रतिशत रहेंगे। भारत में आलू को साबुत उबालकर छिलका उतारकर 6 से 9 मिलीमीटर मोटाई में, गोल आकृति में कतरकर सुखाते है। अगर कच्चे आलू को कतरकर उपर्युक्त क्रिया विधेयक बनाकर धूप में सुखाया जाता है तो अधिक उत्तम चिप्स प्राप्त होते है।

पैकिंग -
जैसे ही जैम तैयार हो जाये, 93.50 सें. तापमान तक कड़ाही में ही थोड़ा ठंडा होने दें और इसी तापमान पर चैडे मुंह की बोतलों में भर देना चाहिए। बोतलों को लकड़ी के सूखे तख्ते पर ही रखकर भरना चाहिए अन्यथा उनके टूटने का भय रहता है। भरी हुई बोतलें जब ठंडी हो जायें तब पिघले हुए मोम से जैम को ढ़क देना चाहिए। इसके बाद ढक्कन बन्द कर देना चाहिए। तत्पश्चात बोतलों को शीतल व शुष्क स्थान पर संग्रहण के लिए रखना चाहिए। जब यह ज्ञात हो जाये कि जैली तैयार है तो उसे तुरन्त उतारकर उसका मैल निकाल देना चाहिए। चैड़े मुह की साफ व कीटाणुरहित की गई उष्मित बोतलों में गरम-गरम जैली भर देनी चाहिए। बोतलों में भरने के पहले बोतलें को किसी लकड़ी के सूखे तख्ते पर रख लेना चाहिए ताकि वे टूटे नहीं। इसके बाद तुरन्त ही इनका 210 सें. तापमान पर प्रशीतन कर लें क्योंकि इस तापमान पर जैली अच्छी जमती है। उपयोग में लाई गई बोतलों की अन्दरूनी सतह चिकनी होनी चाहिए।
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