गांधी जी द्वारा हिटलर को लिखा गया पत्र

Mahatma Gandhi’s Letter to HItler
 
महात्मा गांधी ने जर्मन तानाशाह हिटलर को भी अंहिसा का पाठ पढ़ाने की पूरी कोशिश की था। गांधीजी ने हिटलर को हिंसा का रास्ता छोडते हुए युद्ध बंद करने का आग्रह किया था। इस बात का खुलासा गांधी के एक पत्र से हुआ है। जिसको में आप सब के साथ शेयर करने जा रहा हू महात्मा गांधी ने 23 जुलाई 193924 दिसंबर 1940 को हिटलर को पत्र लिखा था। बापू ने पत्र में हिटलर को मित्रता पूर्वक समझाया। लेकिन शायद उसका हिटलर पर कोई प्रभाव नहीं हुआl



हिटलर को गांधीजी का पत्र
वर्धा, मध्य प्रान्त, भारत
23 जुलाई 1939                     



                                            
                                            प्रिय मित्र,

मित्रों का यह आग्रह रहा है कि मानवता की खातिर मैं आपको कुछ लिखूl लेकिन मैं  उनके अनुरोध को अस्वीकार     करता रहा हू, क्योंकि मैं यह महसूस करता हू कि मेरा आपको पत्र लिखना ध्रष्टता होगी l लेकिन मुझे कुछ ऐसा लगता है कि इस मामले में मुझे हिसाब-किताब करके नहीं चलना चाहिय और मुझे आपसे अपील करनी चाहिए, चाहे वह जिस लायक होl यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि आज संसार में आप ही एकऐसे व्यक्ति हैं जो उस युद्ध को रोक सकते है,जो मानव-जातिको बर्बर अवस्था में पंहुचा सकता है l क्या आपको किसीउद्देश्य के लिए इतना बड़ा मूल्य चुकाना चाहिए, फिर चाहेवह उद्देश्य आपकी नजर में कितना ही महान क्यों न हो? क्या आप एक एसे व्यक्ति की अपील पर ध्यान देंगे जिसने सोच-विचार कर युद्ध के तरीके का त्याग कर दिया है और इसमें उसे काफी सफलता भी मिली है? जो भी हो, मैं यह मान लेता हू कि यदि मैंने आपको पत्र लिख कर कोई भूल कि है तो उसके लिए मुझे क्षमा कर दें?
मैं हू
आपका सच्चा मित्र,
मो.क.गांधी
                       सम्पूर्ण गांधी वांग्मय खंड 70, प्रकाशन विभाग,
                                       सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार





हिटलर को गांधीजी का पत्र


वर्धा, 24 दिसम्बर 1940                  




 हमें अहिंसा के रूप में एक एसी शक्ति प्राप्त हो गयी है जिसे यदि संगठित कर लिया जाये तो बह संसार भर कि सभी प्रबलतम हिंसात्मक शक्तियों के गठजोड़ का मुकाबला कर सकती हैl जैसा कि मैंने कहा, अहिंसात्मक तरीके में पराजय नाम कि कोई चीज है ही नही l यह तरीका तो बिना मारे या चोट पहुचाए करने या मरने का तरीका है l इसका इस्तेमाल करने में धन कि लगभग कोई जरुरत नहीं होती और उस विनासशास्त्र की तो नहीं ही जिसे आपने पूर्णता के चरमबिन्दु तक पंहुचा दिया है मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि आप यह भी नहीं देख पाते कि विनाशकारी यंत्रो पर किसी का एकाधिकार नहीं है l अगर ब्रिटिश लोग नहीं तो कोई और देश निश्चय ही आपके तरीको से ज्यादा बेहतर तरीका ईजाद कर लेगा और आपके ही तरीको से आपको निचा दिखायेगा आप अपने देशवासियों के लिए एसी कोई विरासत नहीं छोड़ रहे है जिस पर उने गर्व होगा l वे एक क्रूर कर्म कि चर्चा करने में गर्व का अनुभव नहीं करेगे फिर भले ही वह कृत्य कितनी ही निपूर्णतापुर्वक नियोजित क्यों नहीं किया होl अतः मैं मानवता के नाम से आपसे युद्ध रोक देने की अपील करता हूl
                     
हर्दय से आपका मित्र 
मो.क.गांधी                 


 
                        सम्पूर्ण गांधी वांग्मय खंड 73, प्रकाशन विभाग,
                                     सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार



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